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Friday, July 18, 2014

फेसबुक ने लॉन्च किया नया ऐप ‘Mentions’ , Facebook Launched New App Mentions

फेसबुक ने अपना नया ऐप लॉन्च किया है। ios यूजर्स के लिए बनाए गए इस ऐप का नाम है ‘Mentions’. इस ऐप को हर कोई डाउनलोड तो कर सकता है, लेकिन ये ऐप सिर्फ उन लोगों को पहचानेगा जिन्हें फेसबुक ने सेलेब्स या स्टार्स के रूप में वेरिफाई किया हो। इस ऐप का काम सेलेब्स के सोशल मीडिया पेज को मैनेज करना होगा।

फेसबुक की तरफ से आए स्टेटमेंट के अनुसार अगर कोई मेंशन ऐप का इस्तेमाल करता है तो वो सेलेब है। फेसबुक प्रोफाइल पर वेरिफाइड अकाउंट के आगे ब्लू चेक मार्क लगा होता है।

सेलेब्स के लिए एक डेडिकेटेड ऐप के जरिए अकाउंट मेंशन करना ज्यादा आसान होता है। सेलेब्स के लिए इस ऐप के जरिए टाइमलाइन पोस्ट, कमेंट्स और स्टेटस अपडेट्स कर सकेंगे।
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Thursday, July 17, 2014

अब बिना की-बोर्ड, हवा में टाइपिंग कर सकेंगे यूजर्स , Airtype Wearable Gadget To Type Without Keyboard



बचपन में कई बार शायद आपने हवा में लिखने की कोशिश की होगी। अब ये काम असल में किया जा सकता है। 'एयरटाइप' नाम का एक ऐसा गैजेट आया है जो यूजर्स को बिना की-बोर्ड का इस्तेमाल किए टाइप करने की सुविधा देता है।

एयरटाइप गैजेट स्मार्टबैंड की तरह हैं। ये डिवाइस यूजर अपनी उंगलियों में पहन सकता है और ये यूजर के हाथों की हरकत से ये पता लगाएगा की उसे क्या टाइप करना है। एयरटाइप तकनीक का एक वीडियो भी यूट्यूब पर पोस्ट किया गया है जिसमें अलग-अलग तरह से एक ही यूजर को टाइप करते हुए दिखाया गया है। सबसे रोचक बात ये है कि इस गैजेट में कोई भी विजुअल नहीं दिया गया है। ये सिर्फ दो बैंड्स हैं जिन्हें यूजर अपने हाथ में पहनेगा। यूजर को अंदाजे से टाइप करना होगा।

समझदार सिस्टम-

एयरटाइप को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इसे मोबाइल फोन की तरह कहीं भी ले जाया जा सके। एयरटाइप की वेबसाइट का कहना है कि ये एक स्मार्ट सिस्टम है जो यूजर्स की टाइपिंग हैबिट का ध्यान रखेगा। एक ऐप की मदद से डायनैमिक टेक्स्ट प्रिडिक्शन होगा जो यूजर्स द्वारा आम तौर पर टाइप किए जाने वाले शब्दों का प्रोटोटाइप तैयार करेगा। ये डिवाइस ब्लूटूथ, NFC की मदद से स्मार्टफोन या टैबलेट से कनेक्ट किया जा सकेगा।

ये नई तकनीक एक स्मार्ट डिवाइस तो है, लेकिन इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल है कि एयरटाइप किस हद तक सही टाइपिंग करने में यूजर्स की मदद कर सकेगा।


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Wednesday, July 16, 2014

अगर खरीदने जा रहे हैं सेकंड हैंड फोन तो ध्यान रखें इन 6 बातों का , Tips To Remember While Purchasing An Old Phone

स्मार्टफोन्स के आने के बाद से यूजर्स लगातार नए और लेटेस्ट फीचर वाला फोन लेना चाहता है। ऐसे में कई बार पुराना फोन बिना किसी खराबी के बदलने की जरूरत पड़ जाती है। इसी तरह कई लोग ऐसे भी हैं जो पुराने स्मार्टफोन्स खरीदते भी हैं। पैसों की कमी के कारण या लेटेस्ट मॉडल कम कीमत में मिलने के कारण अगर आप किसी का पुराना स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान देना जिनकी वजह से आप ठगी या धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

पुराना स्मार्टफोन खरीदते समय ध्यान रखें-

अपना पसंदीदा फोन सिलेक्ट करने और मोल भाव करने के बाद भी कई ऐसी बातें होती हैं जिन्हें चेक करना बहुत जरूरी होता है।

सबसे जरूरी है फोन के फीचर्स चेक करना, कई बार कैमरा और ऐप्स के अलावा, यूजर्स कुछ भी चेक नहीं करते हैं। इससे आगे चलकर उन्हें परेशानी हो सकती है।


सेल्युलर नेटवर्क-

कोई पुराना फोन खरीदने से पहले सेल्युलर नेटवर्क के बारे में जानकारी ले लें। कई बार कोई डिवाइस सिर्फ एक या दो सेल्युलर नेटवर्क ही सपोर्ट करता है। ऐसा अकसर उन स्मार्टफोन्स के साथ होता है जिन्हें विदेशों से लाया जाता है। ये सेलफोन कॉन्ट्रैक्ट पर सस्ते दाम में खरीद लिए जाते हैं और ये सिर्फ कुछ खास ऑपरेटर्स का नेटवर्क ही सपोर्ट करते हैं।

एक और जरूरी बात ये है कि नेटवर्क कनेक्शन के साथ कॉल आउट गोइंग और स्पीकर्स को चेक कर लिया जाए। कई बार नेटवर्क कनेक्शन शो करने के बाद भी डिवाइस से कॉल नहीं लगती है। एक बार अगर फोन से कॉल करके देख ली जाएगी तो फोन के स्पीकर, कनेक्शन और फोन के माइक की जांच हो जाएगी।


ब्लूटूथ, वाई-फाई और बाकी कनेक्टिविटी ऑप्शन चेक करना-

कई बार गैजेट में किसी टेक्निकल गड़बड़ी के कारण ब्लूटूथ, वाई-फाई और बाकी कनेक्टिविटी ऑप्शन काम करना बंद कर देते हैं।

कोई भी पुराना फोन लेने से पहले ये ध्यान रखें की ब्लूटूथ, वाई-फाई, यूएसबी जैसे कनेक्टिविटी ऑप्शन को चेक कर लें। ब्लूटूथ को इस्तेमाल कर देख लें की ये ठीक से बाकी डिवाइस को सर्च कर रहा है या नहीं। अधिकतर कोई भी स्मार्टफोन खराब होते ही सबसे पहले इन कनेक्टिविटी ऑप्शन को सपोर्ट करना बंद कर देता है।

ये एक ऐसा फीचर है जिसे अधिकतर यूजर्स चेक नहीं करते हैं। ऐसे में बेचने वाले के लिए आपको खराब गैजेट बेचना ज्यादा आसान हो जाता है। अगर गैजेट खरीदते समय आपके पास कोई ऐसा डिवाइस है जो वाई-फाई हॉट-स्पॉट क्रिएट कर सकता है तो उसका इस्तेमाल भी करें।


मेमोरी-

कोई भी सेकंड हैंड फोन खरीदते समय ध्यान रखें की फोन का मेमोरी स्टेटस चेक कर लें। इंटरनल स्टोरेज में ऐप्स सेव रहते हैं और एक्सटर्नल स्टोरेज में अन्य चीजें। किसी भी फाइल को इंटरनल मेमोरी से एक्सटर्नल मेमोरी में शिफ्ट करके देख लें। अगर फाइल आसानी से ट्रांसफर हो रही है तो सब सही है, लेकिन अगर कोई एरर आ रहा है तो हो सकता है कि फोन में मेमोरी प्रॉब्लम हो या फिर वायरस हो जो फोन मेमोरी में फाइल शिफ्ट नहीं करने दे रहा हो।

अगर आप आईफोन लेने जा रहे हैं तो उनमें एक्सटरनल स्टोरेज नहीं होती है। ऐसे में फोन की स्पेसिफिकेशन सेटिंग्स में जाकर अच्छे से देख लें। हो सकता है कि बेचने वाला आपको 16 GB मॉडल बताकर 8 GB बेच दे और आप उसे खरीद भी लें।


कैमरा-

लिस्ट बहुत लंबी हो सकती है, लेकिन जरूरी फीचर्स को चेक कर लिया जाए तो ये बेहतर होगा। नया हो या पुराना किसी भी स्मार्टफोन को खरीदने से पहले कैमरा फीचर्स अच्छे से चेक कर लें।

फोन से फोटो और वीडियो बना कर देख लें। कैमरा फीचर्स स्क्रीन पर कई बार ठीक दिखते हैं, लेकिन फोटोज खींचने के बाद क्वालिटी काफी खराब आती है। रियर कैमरा, फ्रंट कैमरा और फ्लैश सभी को अच्छे से चेक कर लेना चाहिए।

* IMEI नंबर-

कोई भी सेकंड हैंड फोन लेने से पहले बैटरी पर लिखा IMEI नबंर देख लें। फोन पर *#06# डायल कर अपने हैंडसेट का IMEI नंबर और बैटरी पर लिखे नंबर को मिल कर देखें। अगर दोनों अलग हैं तो बैटरी बदली गई है। ये खराब क्वालिटी की लोकल बैटरी भी हो सकती है।

इसके अलावा, इंटरनेट पर IMEI नंबर की डिटेल्स जरूर चेक करें। हो सकता है कि जिस सेकंड हैंड स्मार्टफोन को आप लेने जा रहे हैं वो किसी से चुराया गया हो या उसके खो जाने की रिपोर्ट हुई हो।


बिल या वारंटी बॉक्स-

कोई भी पुराना स्मार्टफोन खरीदते समय ये ध्यान रखें की उस गैजेट का असली बिल या वारंटी पेपर चेक करना ना भूलें। ओरिजिनल बिल से आपको फोन के खरीदे जाने की असली डेट का पता चल सकता है।

अगर हैंडसेट वारंटी के अंदर है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। अगर वारंटी खत्म हो चुकी है तो हैंडसेट सस्ते दाम में मिल सकता है।

* एक्सेसरीज-

कोई भी गैजेट लेने से पहले उसके साथ मिलने वाली एक्सेसरीज को जरूर ध्यान से चेक कर लें। चार्जर, हैडफोन या यूएसबी केबल चेक करने से बाद में किसी भी गड़बड़ी से आप बच सकते हैं।


डिस्प्ले-

पुराने स्मार्टफोन में जिस फीचर के खराब होने का खतरा सबसे पहले रहता है वो होता है फोन का डिस्प्ले। फोन के डिस्प्ले को चेक करने के लिए किसी भी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं होती है। सबसे आसान तरीका होता है स्क्रीन के सभी हिस्सों को अच्छे से चेक करना।

स्क्रीन पर डेड पिक्सल को भी चेक कर लेना चाहिए। स्क्रीन पर किसी भी जगह अगर ब्लैक या रेड कलर का स्पॉट दिख रहा है तो वो डेड पिक्सल है। स्क्रीन सबसे पहले उस जगह से रिस्पॉन्स देना बंद करेगी। इसके अलावा, ऑनस्क्रीन की-बोर्ड को दोनों हॉरिजॉन्टल और वर्टिल मोड में चला कर देख लें। देख लें की सभी बटन अच्छे से काम कर रहे हैं या नहीं।

गैलरी से कोई भी फोटो खोलें और उसे जूम इन और जूम आउट कर के देख लें। ऐसा करने से स्क्रीन को चेक करना ज्यादा आसान हो जाएगा।
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Aircel announces 4G services in 4 circles

Aircel has officially announced 4G LTE services in India, becoming the second operator in the country to do so. The operator will be launching 4G services in 4 circles – Andhra Pradesh, Assam, Bihar and Odisha – initially. Aircel, however, hasn't yet disclosed information on the data plans, devices and availability for mobile phones.

Aircel holds 20MHz of spectrum in the 4G LTE 2300 MHz band across eight circles - Andhra Pradesh, Tamil Nadu, West Bengal, Bihar, Odisha, Assam and North East and Jammu and Kashmir. We can expect the operator to roll out the LTE services in other circles very soon.

Mr. Anupam Vasudev, Chief Marketing Officer, Aircel says: “Our existing technological leadership position further lends to providing a promising and reliable 4G LTE service to our customers. The wireless broadband services offered will help customers transform their workplaces and homes into ‘smarter’ entities. The parameters that will differentiate Aircel’s 4G LTE services include customized offerings with a quick turnaround time for deployment of services to Enterprise and Home customer, beating existing industry standards; high speed and low latency, which are critical to any enterprise service experience, will be Aircel’s key focus deliverable building on Reliable MPLS (Multiple Protocol Label Switching) core network. It is with this targeted approach, Aircel is confident of leading the 4G LTE market in India.”

“Aircel has always been at the forefront of data revolution by offering innovative products and services in this space. It is only when a company having strong vision and strategy to predict customer needs and demands coupled with the ability to tackle evolution of technology, can it dream to take on a leadership position” he adds.

Aircel's entry into 4G segment certainly good news for customers looking for the latest gen broadband services. So far, Airtel has launched 4G services in a few circles, while a pan-India availability is still awaited. Aircel's entry will finally bring some competition in the segment, perhaps encourage other players to launch their services. From customers' point of view, competition gives possibility of lower tariffs and even more affordable devices.
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आपको पता है गूगल और फेसबुक के पहले क्या नाम थे?




गूगल को शुरू करने की योजना 1995 में लेरी पेज और सर्जी ब्रेन ने बनाई थी। इसके बाद दोनों ने मिलकर 1996 में इस सर्च इंजन को "बैकरब" नाम से शुरू किया जो बाद में चलकर "गूगल" में बदल गया।


गूगल ही नहीं बल्कि दुनिया में कई ऎसी बड़ी कंपनियां है जिनका पहले नाम कुछ और और अब कुछ और। आपको बता दें कि सोनी का नाम पहले "टोक्यो टेलीकम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग" था। ऎसे ही याहू का नाम "जेरीस गाइड टू द वर्ल्ड वाइड वेब" और आईबीएम का नाम "कम्प्यूटिंग रिकॉर्डिग कॉर्पोरेशन" था। इनके अलावा पेप्सी का नाम "बै्रड्स ड्रिंक" और फेसबुक को "दी फेसबुक" नाम से शुरू किया गया था।
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Tuesday, July 15, 2014

ऐसे छुटकारा पाएं फेसबुक पर कैंडी क्रश रिक्वेस्ट से , Block Candy Crush Saga and other requests and notifications on Facebook

कैंडी क्रश... कैंडी क्रश.. कैंडी क्रश!!! आज-कल यह गेम फेसबुक यूजर्स के लिए एक प्रॉब्लम बन गया है। प्रॉब्लम गेम नहीं है... बल्कि इस गेम की रिक्वेस्ट भेजने वाले हैं। परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब हर 10 मिनट में एक नोटिफिकेशन पिंग आता है। इस रिक्वेस्ट के चक्कर में कई दोस्तों के बीच में फेसबुक वॉर छिड़ गई है। कई इतने ज्यादा परेशान हो गए हैं कि भेजने वाले को अनफ्रेंड ही कर दिया।

मजाक उड़ाने वाली तस्वीरें हुईं वाइरल
इस गेम को जितने ज्यादा लोग लाइक करते हैं, उससे ज्यादा अब इससे परेशान भी हैं। परेशान इसको जीतने के लिए नहीं, बल्कि जो लोग इसको खेलने की रिक्वेस्ट भेजते हैं उनसे। यह परेशानी इतनी बढ़ गई कि गेम नहीं candy crush का मजाक उड़ाने वाली तस्वीरें वाइरल हो गईं। यूजर्स, फनी तरीके से रिक्वेस्ट भेजने वालों को पिक्चर मेसेज में टैग करने लगे हैं और देखते ही देखते एक कैंपेन चल गया। काफी यूज़र्स इन तस्वीरों को शेयर भी करते हैं और ये हर सोशल नेटवर्किंग साइट और मेसेंजर पर वाइरल हैं।



आज-कल आम जनता महंगाई से परेशान है और फेसबुक की जनता कैंडी क्रश से। इसको लेकर कई लोगों ने तो कैंपेन तक चलाया क्रश दिस कैंडी नाम से। हर कोई इस दिक्कत से पीछा छुड़ाना चाहता है, लेकिन ज्यादातर लोग मजबूर हैं कि कैसे इन रिक्वेस्ट को ब्लॉक किया जाए। कुछ लोग तो अपने स्टेटस अपडेट में ही कैंडी क्रश की रिक्वेस्ट भेजने वालों को कोसने लगते हैं।

दोस्तों की 'Timeline' से
इस टैग में एक्स्पीरियंस है। कई दोस्तों के बीच इस रिक्वेस्ट को लेकर लड़ाई हो गई और कई ने तो एक दूसरे को अनफ्रेंड तक कर दिया। सिलसिला यहीं नहीं रुका... इस रिक्वेस्ट के चक्कर में घरों में भी झगड़ा हो गया। एक कहानी है कृष्णा नगर में रहने वाले प्रीत की। प्रीत की लड़ाई अपने भाई से सिर्फ इस बात पर हो गई कि वह उसे एक दिन में करीब 40-50 बार रिक्वेस्ट भेजता था। इसी से नाराज उसने अपने भाई को फेसबुक पर ब्लॉक कर दिया। ऐसे ही कई किस्से होंगे आप लोगों की टाइमलाइन पर भी।

कैसे बंद करें नोटिफिकेशन
अगर आप भी इस प्रॉब्लम से परेशान हैं, तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

1. फेसबुक के रिक्वेस्ट पेज पर लॉग-इन करिए।

2. इस पेज पर अगर कोई रिक्वेस्ट दिख रही हो, तो उसके X पर क्लिक करने के बाद ब्लॉक कर दीजिए।


3. बाईं तरफ 'Invitations' पर क्लिक करिए। अब कोई इन्विटेशन दिख रही हो, तो उसके भी X पर क्लिक करने के बाद ब्लॉक कर दीजिए।


बधाई हो! आप कैंडी क्रश सागा जैसे तमाम अनचाहे गेम्स आदि की नोटिफिकेशंस से छुटकारा पा चुके हैं। लेकिन आप खुद यह गेम खेल सकते हैं। वैसे अगर आप इसके नाम से ही चिढ़ने लगे हैं और इसे पूरी तरह ब्लॉक करना चाहते हैं, तो ये स्टेप्स अपनाएं:

1. फेसबुक पर लॉग-इन करें। ऊपर दाईं तरफ सिक्यॉरिटी शॉर्टकट्स के बटन पर क्लिक करें। उसमें सबसे नीचे 'See More Settings' पर क्लिक करें।


2. जो पेज खुलेगा, उसमें बाईं तरफ Blocking पर क्लिक करें।


3. सबसे नीचे Block Apps में ऐप सर्च करें और क्लिक करके पूरी तरह ब्लॉक कर दें। कभी अनब्लॉक करना चाहें, तो यहीं से अनब्लॉक भी कर सकते हैं।
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Sunday, July 13, 2014

मेमरी कार्ड के बनें एक्सपर्ट

बीएस पाबला 

मेमरी कार्ड के इस्तेमाल को लेकर कई बार उलझन की स्थिति का सामना करना पड़ जाता है। इस छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के मायाजाल को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं हम:

फ़्लैश मेमरी कार्ड या सॉलिड स्टेट फ्लैश मेमरी डेटा स्टॉरेज जैसे नामों से जाना जाने वाला मेमरी कार्ड डिजिटल कॉन्टेंट को इकट्ठा करके रखने वाली एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। आज-कल इसका इस्तेमाल मोबाइल फ़ोन्स, डिजिटल कैमरा, म्यूज़िक प्लेयर और विडियो गेम जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। इसमें दर्ज़ हुई डिजिटल जानकारियां मिटाई जा सकती हैं, दोबारा डाली जा सकती हैं और उनमें जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। कंप्यूटर, लैपटॉप से कनेक्ट हो सकने वाली पेन ड्राइव से यह मेमरी कार्ड आकार, प्रकार में अलग होता है और जिन डिवाइस में इसका इस्तेमाल होता है, उनमें इसके लिए एक स्थान निश्चित होता है। तकनीक की दुनिया में इसे Non-volatile SD Card कहा जाता है। SD का मतलब है Secure Digital और Non-volatile का मतलब है कि इसे अपनी याददाश्त के लिए किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की ज़रूरत नहीं है।

तीन तरह के कार्ड
मेमरी कार्ड तीन तरह के होते हैं। ये हैं: SD, SDHC और SDXC




SD
- इसे मेमरी कार्ड की पहली पीढ़ी माना जाता है। इस कार्ड की मोटाई आमतौर पर 2.1 मिलीमीटर होती है और इसकी अधिकतम क्षमता होती है 2 GB।
- इस तरह के मेमरी कार्ड तीन आकारों में आते हैं। पहला है मूल SD, जो सीधे अपने लिए बने खांचे में फिट हो जाता है। बाकी दो अपेक्षाकृत छोटे आकार के आते हैं, जिन्हें miniSD, microSD कहते हैं। इन्हें एक अडॉप्टर की मदद से संबंधित खांचे में लगाया जा सकता है।
- आमतौर पर SD कार्ड्स का इस्तेमाल पर्सनल कम्प्यूटर्स, विडियो कैमरा, डिजिटल कैमरा और ऐसे ही बड़े आकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है, जबकि miniSD, microSD को मोबाइल, टैबलट जैसे छोटे डिवाइस में इस्तेमाल किया जाता है।

SDHC
दूसरी जेनरेशन के मेमरी कार्ड 2006 में आए, जिन्हें SDHC कहा गया। SDHC कार्ड का मतलब है Secure Digital High Capacity कार्ड। आकार में तो यह SD कार्ड जैसे ही होते हैं, लेकिन इनकी क्षमता 4GB से 32GB तक होती है। इनमें भी अपेक्षाकृत छोटे आकार के कार्ड miniSD, microSD कहलाते हैं।

SDXC
मेमरी कार्ड की तीसरी जेनरेशन 2009 में आई, जिसे SDXC कहा गया। SDXC का मतलब Secure Digital extended Capacity है। इनकी क्षमता 48GB से 2TB तक होती है। (व्यावहारिक तौर पर अभी केवल 128GB की क्षमता ही आम लोगों के लिए उपलब्ध है। इसका छोटा आकार केवल microSD ही है। वैसे अब इनके UHS (Ultra High Speed bus) और SDIO (Secure Digital Input Output) प्रारूप भी आ गए हैं। UHS 1 और UHS 3 फॉर्मैट वाले मेमरी कार्ड भी आ गए हैं, जो ज्यादातर व्यावसायिक उपकरणों में यूज होते हैं।

मेमरी कार्ड की स्पीड
मेमरी कार्ड की स्पीड एक अहम फीचर है। इसे इस बात से नापा जाता है कि मेमरी कार्ड में कितनी स्पीड से एक फोटो जैसी डिजिटल जानकारी सहेजी जा सकती है या निकाली जा सकती है। कई बार आपने देखा होगा कि कैमरा, किसी फोटो को सहेजते हुए कुछ ज़्यादा ही समय ले लेता है, बिज़ी का संकेत देता रहता है या किसी विडियो को देखते हुए बार-बार रुकावट आती है। दरअसल, मेमरी कार्ड वाला हर डिवाइस एक खास स्पीड वाले कार्ड के लिए बना होता है। उससे कम स्पीड वाला मेमरी कार्ड लगा हो तो वह अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाएगा। हममें से ज़्यादातर लोग इस पर कोई खास ध्यान नहीं देते। अक्सर लोग जो डिवाइस 16GB तक की मेमरी कार्ड के लिए बना है, उसमें 8GB/16GB का कार्ड डलवा लेते हैं, लेकिन कार्ड की स्पीड पर ध्यान नहीं देते। तो अगली बार अगर आपको लगे कि आपका कैमरा फोटो लेने के बाद उसे स्टोर करने में ज्यादा समय ले रहा है या कैमकॉर्डर किसी विडियो को लेते समय ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो बेहतर होगा कि पहले यह देख लें कि मेमरी कार्ड की स्पीड, डिवाइस के हिसाब से ठीक है या नहीं। मेमरी कार्ड में Class 2 सबसे धीमी और Class 10 सबसे तेज़ स्पीड होती है। अब अगर आपके कैमरे की क्षमता Class 4 वाले मेमरी कार्ड की है तो Class 4 मेमरी कार्ड का इस्तेमाल करना ही समझदारी है। इससे ज्यादा स्पीड वाले कार्ड का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि कैमरा ज्यादा स्पीड वाले कार्ड की क्षमता का सदुपयोग कर ही नहीं पाएगा। ध्यान देने की बात यह है कि एक ही स्टॉरेज कपैसिटी (जैसे 16GB) वाले कार्ड की स्पीड जितनी बढ़ती जाएगी, उसकी कीमत भी उतनी ही बढ़ती जाएगी।

कैसे जानें कार्ड की स्पीड
हो सकता है कि कार्ड पर एमबी/सेकंड में स्पीड लिखी हो। अगर ऐसा नहीं है, तो आप कार्ड की गति की पहचान कार्ड पर बने चिह्नों से कर सकते हैं। कार्ड पर एक अधूरे गोले में 2 लिखे होने का मतलब है क्लास 2, जिससे कम से कम 2 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। इसी तरह 4, 6, 10 का मतलब क्लास 4, क्लास 6 और क्लास 10 है, जिनसे कम से कम 4, 6 और 10 एमबी/सेकंड की स्पीड मिलेगी। U जैसे चिह्न के भीतर 1 या 3 लिखे होने से कम से कम 10 और 30 एमबी/सेकंड की उम्मीद मिलेगी।

मेमरी कार्ड की सुरक्षा
- कई बार हम गलती से अचानक ही मेमरी कार्ड से गाने, फोटो या कोई डेटा मिटा डालते हैं। जब तक गलती का अहसास हो, तब तक बात बिगड़ चुकी होती है या फिर मेमरी कार्ड के डेटा से कोई छेड़छाड़ ना हो जाए, ऐसा भी ख्याल आता है।

- इस गड़बड़ी से बचने के लिए कई आधुनिक सॉफ्टवेयर हैं, जो किसी कोड या पासवर्ड द्वारा मेमरी कार्ड के डेटा तक अवांछित पहुंच को रोकते हैं। कुछ कमांड भी इस काम को बखूबी कर देते हैं।

- किसी तरह की अनजानी भूल से बचने का एक आसान रास्ता है। मेमरी कार्ड के किनारे सरकने वाला एक छोटा-सा टुकड़ा रहता है, जिसे Lock स्थिति की ओर खिसका दिया जाए, तो उस कार्ड में न कोई डेटा डाला जा सकेगा, ना ही कुछ निकाला जा सकेगा। Unlock करने के लिए उसे वापस सामान्य स्थिति पर रखा जा सकता है।

कुछ और बातें
- मेमरी कार्ड कभी गड़बड़ा जाए तो समस्या होती है कि उसे कैसे ठीक करें। इसके लिए SD Card Recovery Tool जैसे कई सॉफ्टवेयर हैं।
- मेमरी कार्ड से कभी कोई डेटा मिट जाए तो उसे वापस लाने के Undelete 360, Recuva जैसे ढेरों सॉफ्टवेयर हैं।
- विभिन्न प्रयोगों/ट्रिक के लिए Memory Cards Tools, Memory Card Manager का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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ऐसे किसी भी कम्प्यूटर पर खोलें ब्लॉक की गई वेबसाइट्स

स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के कम्प्यूटर पर कई बार आपने अपनी पसंदीदा सोशल नेटवर्किंग साइट (फेसबुकट्विटरगूगल प्लस) खोलने की कोशिश की होगी। या फिर गाने सुनने के लिए यूट्यूब और गाने डाउनलोड करने के लिए टोरेंट को एक्सेस किया होगा, लेकिन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा वो साइट्स ब्लॉक कर दी गई होंगी। ऐसा कई बार होता है कि ऑफिस या किसी अन्य संस्थान में कुछ खास वेबसाइट्स ब्लॉक कर दी जाती हैं। ये वहां काम करने वाले लोगों के लिए परेशानी का कारण भी बन सकता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे किसी भी कम्प्यूटर पर ब्लॉक की गई वेबसाइट को खोला जा सकता है। 
1. वेबसाइट के IP ऐड्रेस की मदद से-

वेबसाइट के IP ऐड्रेस की मदद से भी किसी साइट को कम्प्यूटर पर अनब्लॉक किया जा सकता है। आमतौर पर किसी भी कम्प्यूटर पर वेबसाइट को ब्लॉक करने के लिए उसका यूआरएल (URL) इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में किसी भी वेबासाइट को खोलने के लिए उसके IP ऐड्रेस का इस्तेमाल किया जा सकता है।  इसके लिए-

स्टेप 1- सबसे पहले अपने कम्प्यूटर के स्टार्ट मेनू पर जाएं और रन सिलेक्ट करें
स्टेप 2- अब रन कमांड बॉक्स में CMD टाइप करें।

स्टेप 3- CMD टाइप करते ही यूजर्स की स्क्रीन पर एक काले रंग की विंडो (कमांड विंडो) खुल जाएगी।

स्टेप 4- अब कमांड विंडो पर उस वेबसाइट का URL डालिए जिसे ओपन करना हो। उदाहरण के तौर पर- www.facebook.com

कैसे लिखना है- 'Ping www.facebook.com'

स्टेप 5- पिंग कमांड चलाते ही आपकी स्क्रीन पर वेबसाइट का URL दिखने लगेगा। इस URL को कॉपी कीजिए। 

स्टेप 6- अब ये IP ऐड्रेस अपने ब्राउजर में जाकर टाइप करिए जहां अभी तक वेबसाइट का URL लिखते थे। ब्लॉक्ड वेबसाइट काम करने लगेगी। 

URL को छोटा करना-

आगे की स्लाइड पर दिया हुआ तरीका तब काम करेगा जब कमांड प्रॉम्प्ट पर वेबसाइट का URL ब्लॉक ना हो। अगर कमांड प्रॉम्पट पर भी वेबसाइट का URL ब्लॉक है तो ये नया तरीका अपना सकते हैं। 

स्टेप 1- सबसे पहले इनमें से किसी भी वेबसाइट शॉर्टेनिंग सर्विस को खोलिए-
http://goo.gl
https://bitly.com

स्टेप 2- अब दिए गए बॉक्स में उस वेबसाइट का URL डालिए जिसे खोलना है और URL को छोटा कर लीजिए।

स्टेप 3- जिस भी वेबसाइट का URL आपने छोटा किया होगा वो किसी नए URL की शक्ल में आपके सामने आएगी। जैसे-फेसबुक का शॉर्ट URL है- http://goo.gl/uLkIJj

स्टेप 4- अब इस शॉर्ट URL को अपने वेबब्राउजर में पेस्ट करिए और नेट सर्फिंग कीजिए। 

प्रॉक्सी सर्वर की मदद से-

अगर शॉर्ट URL भी काम नहीं कर रहा है तो प्रॉक्सी सर्वर की सेटिंग्स बदल कर भी ब्लॉक वेबसाइट्स को खोला जा सकता है। इसके लिए-

स्टेप 1- गूगल क्रोम ब्राउजर को खोलिए

स्टोप 2- Settings > Advance settings > पर क्लिक करें

स्टेप 3- अब शो एडवांस सेटिंग्स ( ‘Show advance settings ’) ऑप्शन पर क्लिक करें।

स्टेप 4- इसके बाद चेंज प्रॉक्सी सेटिंग्स (‘Change proxy setting’) पर क्लिक करें

स्टेप 5- अब एक डायलॉग बॉक्स आपकी स्क्रीन पर खुलेगा इसमें LAN सेटिंग्स का ऑप्शन सिलेक्ट करें।

स्टेप 6- अब यहां ‘Use Proxy Server for your LAN’ ऑप्शन के चेकबॉक्स पर क्लिक करें।

स्टेप 7- अब जिस भी वेबसाइट को आप खोलना चाहते हैं उसका नाम ऐड्रेस फील्ड में डालिए। 

स्टेप 8- पोर्ट नंबर की जगह पर '80' लिखिए।

स्टेप 9- अब ओके पर क्लिक करें, ब्राउजर पर वेबसाइट खुल जाएगी। 

ultrasurf टूल की मदद से-

ultrasurf सॉफ्टवेयर सभी ब्लॉक्ड वेबसाइट्स को खोलने के काम में आता है। ये ब्लॉक्ड वेबसाइट्स को खोलने वाले कुछ सबसे लोकप्रिय सॉफ्टवेयर्स में से एक है। इसका इस्तेमाल करने के लिए-

स्टेप 1- सबसे पहले Ultrasurf टूल को नेट से डाउनलोड कीजिए

स्टेप 2- अब डाउनलोड की हुई फाइल को अनजिप करिए।

स्टेप 3- अब अल्ट्रासर्फ को अपने सिस्टम पर इंस्टॉल कीजिए। जो विंडो ओपन होगी उसे मिनिमाइज कर दीजिए। 

स्टेप 4- इंस्टॉल होते ही सॉफ्टवेयर अपना काम करना शुरू कर देगा। आपके ब्राउजर पर सभी वेबसाइट्स खुलने लगेंगी। 

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BBM beta for Windows Phone launched by Blackberry

BBM beta for Windows Phone launched by Blackberry
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BBM finally arrives on Windows Phone in open Beta for testing.




Blackberry's BBM app is already available for Android and iOS and now the app has finally arrived on Windows Phone. Users can sign for access to the limited beta version, from the BlackBerry Beta Zone. Blackberry says that the app is open for testing and feedback, but users will have to wait “just a bit longer” for the full release.

BlackBerry stated in the announcement that it focused on Chats, Contacts and Feeds in the release. Users can swipe left and right to move between these three pages, while common actions can be found at the bottom of the page. Users can access additional controls by tapping on a button with three dots in the menu.

BBM for Windows Phone comes with the ability to pin a contact to the Start menu for easy access. Users also get the ability to chat, share pictures and contacts with one or many BBM contacts. However the beta version doesn't have stickers which Blackberry launched last year. BlackBerry says these will be added in the “coming months.”

Blackberry has also added BBM Groups, which allows users to have a private group chat, share photo albums, calendars and lists. BBM feeds show you your contacts' latest status or profile pictures and if you want to chat with your friends you can just tap on their name to be redirected to a chat. BBM's beta version was spotted on the Windows Phone store earlier this week and the listing stated that the app will work with Windows Phone 8.1 and Windows Phone 8 platforms.

BBM was rolled out for iOS and Android devices in October last year, and got over 20 million downloads within the first week according to Blackberry. The company had earlier said that it has no plans to launch on Windows platform but David Proulx, BlackBerry’s Senior Director of BBM Business Development, stated that the decision was “entirely market driven”.



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