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Monday, November 3, 2014

किसने बनाया एंड्रॉइड, जानें आखिर क्यों मिठाइयों पर रखा जाता है इसका नाम (few-interesting-facts-about-android-operating-system)


> एंड्रॉइड का हिंदी मतलब होता है- मानव के समान दिखने और काम करने वाले यंत्र ( रोबोट )।

>इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम हमेशा मिठाइयों के नाम पर रखा जाता है।

>गूगल ने कभी इस बात का खुलासा नहीं किया की आखिर इस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम मिठाइयों के नाम पर कैसे रखा जाने लगा, लेकिन गूगल के एक प्रवक्ता रैन्डाल सराफा (Randall Sarafa) ने बताया की ये टीम को जोड़े रखने के लिए है। सराफा के मुताबिक मिठाइयों के नाम पर ही एंड्रॉइड का नाम रखा गया है और रखा जाएगा। ये किसी को समझाया नहीं जा सकता है, लेकिन इससे गूगल की टीम को रिप्रेजेंट किया जा सकता है।

> एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम असल में गूगल द्वारा नहीं बनाया गया था। एंडी रूबिन ने एंड्रॉइड इंक. की स्थापना की थी। गूगल से जुड़ने के बाद इस टेक जायंट ने एंड्रॉइड का विकास किया और इसे करोड़ों लोगों तक पहुंचाया। एंड्रॉइड लिनक्स पर डिजाइन किया हुआ फोन ऑपरेटिंग सिस्टम है। 

>एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम और गूगल के रोबोटिक डिविजन के पीछे रूबिन का ही दिमाग था। एंडी रूबिन ने एंड्रॉइड इंक की स्थापना की थी जिसे 2005 में गूगल ने खरीद लिया था और उस समय से एंडी रूबिन गूगल के साथ काम कर रहे थे। हाल ही में आई खबर के अनुसार एंडी ने गूगल छोड़ दिया है औ अब वो अपना खुद का बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं। एंडी इन्क्यूबेटर्स डिजाइन करना चाहते हैं। 

> एंड्रॉइड की ABCD-

एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम को लेकर एक और रोचक तथ्य है। मिठाइयों के नाम रखने के साथ ही एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के हर वर्जन का नाम अंग्रेजी के अल्फाबेट्स के अनुसार ABCD में रखा जाता है। मसलन पहले वर्जन का नाम A से था, दूसरे का B से, तीरसे का C से और इसके आगे हालिया रिलीज लॉलीपॉप 5.0 L से रखा गया है। 

>एंड्रॉइड वर्जन-

* Alpha (1.0)
* Beta (1.1)
* Cupcake (1.5)
* Donut (1.6)
* Eclair (2.0–2.1)
* Froyo (2.2–2.2.3)
* Gingerbread (2.3–2.3.7)
* Honeycomb (3.0–3.2.6)
* Ice Cream Sandwich (4.0–4.0.4)
* Jelly Bean (4.1–4.3.1)
* KitKat (4.4–4.4.4)
* Lollipop (5.0)

> बंद होने वाली थी एंड्रॉइड कंपनी-

दुनिया का सबसे बड़ा और लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनी एंड्रॉइड (बाद में गूगल) अपने शुरुआती दौर में आर्थिक तंगी के कारण बंद होने वाली थी। 2003 में शुरू हुई एंड्रॉइड इंक अपने खर्च उठा पाने में असमर्थ थी। कुछ समय बाद (2005 में) इस कंपनी को गूगल ने खरीद लिया। इसके बाद एंड्रॉइड में कुछ खास बदलाव किए गए और ये दुनिया का सबसे लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बन गया है। 

डिजिटल कैमरा के लिए बनाया गया था एंड्रॉइड-

एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे पहले डिजिटल कैमरा के लिए डिजाइन किया गया था। एंड्रॉइड डेवलपमेंट के बाद इसपर काम करने वाली टीम को लगा की ये स्मार्टफोन्स के लिए अच्छा ऑपरेटिंग सिस्टम बन सकता है इसलिए इसे फोन ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह डिजाइन किया गया। 
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Friday, July 18, 2014

फेसबुक ने लॉन्च किया नया ऐप ‘Mentions’ , Facebook Launched New App Mentions

फेसबुक ने अपना नया ऐप लॉन्च किया है। ios यूजर्स के लिए बनाए गए इस ऐप का नाम है ‘Mentions’. इस ऐप को हर कोई डाउनलोड तो कर सकता है, लेकिन ये ऐप सिर्फ उन लोगों को पहचानेगा जिन्हें फेसबुक ने सेलेब्स या स्टार्स के रूप में वेरिफाई किया हो। इस ऐप का काम सेलेब्स के सोशल मीडिया पेज को मैनेज करना होगा।

फेसबुक की तरफ से आए स्टेटमेंट के अनुसार अगर कोई मेंशन ऐप का इस्तेमाल करता है तो वो सेलेब है। फेसबुक प्रोफाइल पर वेरिफाइड अकाउंट के आगे ब्लू चेक मार्क लगा होता है।

सेलेब्स के लिए एक डेडिकेटेड ऐप के जरिए अकाउंट मेंशन करना ज्यादा आसान होता है। सेलेब्स के लिए इस ऐप के जरिए टाइमलाइन पोस्ट, कमेंट्स और स्टेटस अपडेट्स कर सकेंगे।
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Thursday, July 17, 2014

अब बिना की-बोर्ड, हवा में टाइपिंग कर सकेंगे यूजर्स , Airtype Wearable Gadget To Type Without Keyboard



बचपन में कई बार शायद आपने हवा में लिखने की कोशिश की होगी। अब ये काम असल में किया जा सकता है। 'एयरटाइप' नाम का एक ऐसा गैजेट आया है जो यूजर्स को बिना की-बोर्ड का इस्तेमाल किए टाइप करने की सुविधा देता है।

एयरटाइप गैजेट स्मार्टबैंड की तरह हैं। ये डिवाइस यूजर अपनी उंगलियों में पहन सकता है और ये यूजर के हाथों की हरकत से ये पता लगाएगा की उसे क्या टाइप करना है। एयरटाइप तकनीक का एक वीडियो भी यूट्यूब पर पोस्ट किया गया है जिसमें अलग-अलग तरह से एक ही यूजर को टाइप करते हुए दिखाया गया है। सबसे रोचक बात ये है कि इस गैजेट में कोई भी विजुअल नहीं दिया गया है। ये सिर्फ दो बैंड्स हैं जिन्हें यूजर अपने हाथ में पहनेगा। यूजर को अंदाजे से टाइप करना होगा।

समझदार सिस्टम-

एयरटाइप को ऐसे डिजाइन किया गया है कि इसे मोबाइल फोन की तरह कहीं भी ले जाया जा सके। एयरटाइप की वेबसाइट का कहना है कि ये एक स्मार्ट सिस्टम है जो यूजर्स की टाइपिंग हैबिट का ध्यान रखेगा। एक ऐप की मदद से डायनैमिक टेक्स्ट प्रिडिक्शन होगा जो यूजर्स द्वारा आम तौर पर टाइप किए जाने वाले शब्दों का प्रोटोटाइप तैयार करेगा। ये डिवाइस ब्लूटूथ, NFC की मदद से स्मार्टफोन या टैबलेट से कनेक्ट किया जा सकेगा।

ये नई तकनीक एक स्मार्ट डिवाइस तो है, लेकिन इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल है कि एयरटाइप किस हद तक सही टाइपिंग करने में यूजर्स की मदद कर सकेगा।


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Wednesday, July 16, 2014

अगर खरीदने जा रहे हैं सेकंड हैंड फोन तो ध्यान रखें इन 6 बातों का , Tips To Remember While Purchasing An Old Phone

स्मार्टफोन्स के आने के बाद से यूजर्स लगातार नए और लेटेस्ट फीचर वाला फोन लेना चाहता है। ऐसे में कई बार पुराना फोन बिना किसी खराबी के बदलने की जरूरत पड़ जाती है। इसी तरह कई लोग ऐसे भी हैं जो पुराने स्मार्टफोन्स खरीदते भी हैं। पैसों की कमी के कारण या लेटेस्ट मॉडल कम कीमत में मिलने के कारण अगर आप किसी का पुराना स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्यान देना जिनकी वजह से आप ठगी या धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

पुराना स्मार्टफोन खरीदते समय ध्यान रखें-

अपना पसंदीदा फोन सिलेक्ट करने और मोल भाव करने के बाद भी कई ऐसी बातें होती हैं जिन्हें चेक करना बहुत जरूरी होता है।

सबसे जरूरी है फोन के फीचर्स चेक करना, कई बार कैमरा और ऐप्स के अलावा, यूजर्स कुछ भी चेक नहीं करते हैं। इससे आगे चलकर उन्हें परेशानी हो सकती है।


सेल्युलर नेटवर्क-

कोई पुराना फोन खरीदने से पहले सेल्युलर नेटवर्क के बारे में जानकारी ले लें। कई बार कोई डिवाइस सिर्फ एक या दो सेल्युलर नेटवर्क ही सपोर्ट करता है। ऐसा अकसर उन स्मार्टफोन्स के साथ होता है जिन्हें विदेशों से लाया जाता है। ये सेलफोन कॉन्ट्रैक्ट पर सस्ते दाम में खरीद लिए जाते हैं और ये सिर्फ कुछ खास ऑपरेटर्स का नेटवर्क ही सपोर्ट करते हैं।

एक और जरूरी बात ये है कि नेटवर्क कनेक्शन के साथ कॉल आउट गोइंग और स्पीकर्स को चेक कर लिया जाए। कई बार नेटवर्क कनेक्शन शो करने के बाद भी डिवाइस से कॉल नहीं लगती है। एक बार अगर फोन से कॉल करके देख ली जाएगी तो फोन के स्पीकर, कनेक्शन और फोन के माइक की जांच हो जाएगी।


ब्लूटूथ, वाई-फाई और बाकी कनेक्टिविटी ऑप्शन चेक करना-

कई बार गैजेट में किसी टेक्निकल गड़बड़ी के कारण ब्लूटूथ, वाई-फाई और बाकी कनेक्टिविटी ऑप्शन काम करना बंद कर देते हैं।

कोई भी पुराना फोन लेने से पहले ये ध्यान रखें की ब्लूटूथ, वाई-फाई, यूएसबी जैसे कनेक्टिविटी ऑप्शन को चेक कर लें। ब्लूटूथ को इस्तेमाल कर देख लें की ये ठीक से बाकी डिवाइस को सर्च कर रहा है या नहीं। अधिकतर कोई भी स्मार्टफोन खराब होते ही सबसे पहले इन कनेक्टिविटी ऑप्शन को सपोर्ट करना बंद कर देता है।

ये एक ऐसा फीचर है जिसे अधिकतर यूजर्स चेक नहीं करते हैं। ऐसे में बेचने वाले के लिए आपको खराब गैजेट बेचना ज्यादा आसान हो जाता है। अगर गैजेट खरीदते समय आपके पास कोई ऐसा डिवाइस है जो वाई-फाई हॉट-स्पॉट क्रिएट कर सकता है तो उसका इस्तेमाल भी करें।


मेमोरी-

कोई भी सेकंड हैंड फोन खरीदते समय ध्यान रखें की फोन का मेमोरी स्टेटस चेक कर लें। इंटरनल स्टोरेज में ऐप्स सेव रहते हैं और एक्सटर्नल स्टोरेज में अन्य चीजें। किसी भी फाइल को इंटरनल मेमोरी से एक्सटर्नल मेमोरी में शिफ्ट करके देख लें। अगर फाइल आसानी से ट्रांसफर हो रही है तो सब सही है, लेकिन अगर कोई एरर आ रहा है तो हो सकता है कि फोन में मेमोरी प्रॉब्लम हो या फिर वायरस हो जो फोन मेमोरी में फाइल शिफ्ट नहीं करने दे रहा हो।

अगर आप आईफोन लेने जा रहे हैं तो उनमें एक्सटरनल स्टोरेज नहीं होती है। ऐसे में फोन की स्पेसिफिकेशन सेटिंग्स में जाकर अच्छे से देख लें। हो सकता है कि बेचने वाला आपको 16 GB मॉडल बताकर 8 GB बेच दे और आप उसे खरीद भी लें।


कैमरा-

लिस्ट बहुत लंबी हो सकती है, लेकिन जरूरी फीचर्स को चेक कर लिया जाए तो ये बेहतर होगा। नया हो या पुराना किसी भी स्मार्टफोन को खरीदने से पहले कैमरा फीचर्स अच्छे से चेक कर लें।

फोन से फोटो और वीडियो बना कर देख लें। कैमरा फीचर्स स्क्रीन पर कई बार ठीक दिखते हैं, लेकिन फोटोज खींचने के बाद क्वालिटी काफी खराब आती है। रियर कैमरा, फ्रंट कैमरा और फ्लैश सभी को अच्छे से चेक कर लेना चाहिए।

* IMEI नंबर-

कोई भी सेकंड हैंड फोन लेने से पहले बैटरी पर लिखा IMEI नबंर देख लें। फोन पर *#06# डायल कर अपने हैंडसेट का IMEI नंबर और बैटरी पर लिखे नंबर को मिल कर देखें। अगर दोनों अलग हैं तो बैटरी बदली गई है। ये खराब क्वालिटी की लोकल बैटरी भी हो सकती है।

इसके अलावा, इंटरनेट पर IMEI नंबर की डिटेल्स जरूर चेक करें। हो सकता है कि जिस सेकंड हैंड स्मार्टफोन को आप लेने जा रहे हैं वो किसी से चुराया गया हो या उसके खो जाने की रिपोर्ट हुई हो।


बिल या वारंटी बॉक्स-

कोई भी पुराना स्मार्टफोन खरीदते समय ये ध्यान रखें की उस गैजेट का असली बिल या वारंटी पेपर चेक करना ना भूलें। ओरिजिनल बिल से आपको फोन के खरीदे जाने की असली डेट का पता चल सकता है।

अगर हैंडसेट वारंटी के अंदर है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। अगर वारंटी खत्म हो चुकी है तो हैंडसेट सस्ते दाम में मिल सकता है।

* एक्सेसरीज-

कोई भी गैजेट लेने से पहले उसके साथ मिलने वाली एक्सेसरीज को जरूर ध्यान से चेक कर लें। चार्जर, हैडफोन या यूएसबी केबल चेक करने से बाद में किसी भी गड़बड़ी से आप बच सकते हैं।


डिस्प्ले-

पुराने स्मार्टफोन में जिस फीचर के खराब होने का खतरा सबसे पहले रहता है वो होता है फोन का डिस्प्ले। फोन के डिस्प्ले को चेक करने के लिए किसी भी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं होती है। सबसे आसान तरीका होता है स्क्रीन के सभी हिस्सों को अच्छे से चेक करना।

स्क्रीन पर डेड पिक्सल को भी चेक कर लेना चाहिए। स्क्रीन पर किसी भी जगह अगर ब्लैक या रेड कलर का स्पॉट दिख रहा है तो वो डेड पिक्सल है। स्क्रीन सबसे पहले उस जगह से रिस्पॉन्स देना बंद करेगी। इसके अलावा, ऑनस्क्रीन की-बोर्ड को दोनों हॉरिजॉन्टल और वर्टिल मोड में चला कर देख लें। देख लें की सभी बटन अच्छे से काम कर रहे हैं या नहीं।

गैलरी से कोई भी फोटो खोलें और उसे जूम इन और जूम आउट कर के देख लें। ऐसा करने से स्क्रीन को चेक करना ज्यादा आसान हो जाएगा।
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Aircel announces 4G services in 4 circles

Aircel has officially announced 4G LTE services in India, becoming the second operator in the country to do so. The operator will be launching 4G services in 4 circles – Andhra Pradesh, Assam, Bihar and Odisha – initially. Aircel, however, hasn't yet disclosed information on the data plans, devices and availability for mobile phones.

Aircel holds 20MHz of spectrum in the 4G LTE 2300 MHz band across eight circles - Andhra Pradesh, Tamil Nadu, West Bengal, Bihar, Odisha, Assam and North East and Jammu and Kashmir. We can expect the operator to roll out the LTE services in other circles very soon.

Mr. Anupam Vasudev, Chief Marketing Officer, Aircel says: “Our existing technological leadership position further lends to providing a promising and reliable 4G LTE service to our customers. The wireless broadband services offered will help customers transform their workplaces and homes into ‘smarter’ entities. The parameters that will differentiate Aircel’s 4G LTE services include customized offerings with a quick turnaround time for deployment of services to Enterprise and Home customer, beating existing industry standards; high speed and low latency, which are critical to any enterprise service experience, will be Aircel’s key focus deliverable building on Reliable MPLS (Multiple Protocol Label Switching) core network. It is with this targeted approach, Aircel is confident of leading the 4G LTE market in India.”

“Aircel has always been at the forefront of data revolution by offering innovative products and services in this space. It is only when a company having strong vision and strategy to predict customer needs and demands coupled with the ability to tackle evolution of technology, can it dream to take on a leadership position” he adds.

Aircel's entry into 4G segment certainly good news for customers looking for the latest gen broadband services. So far, Airtel has launched 4G services in a few circles, while a pan-India availability is still awaited. Aircel's entry will finally bring some competition in the segment, perhaps encourage other players to launch their services. From customers' point of view, competition gives possibility of lower tariffs and even more affordable devices.
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आपको पता है गूगल और फेसबुक के पहले क्या नाम थे?




गूगल को शुरू करने की योजना 1995 में लेरी पेज और सर्जी ब्रेन ने बनाई थी। इसके बाद दोनों ने मिलकर 1996 में इस सर्च इंजन को "बैकरब" नाम से शुरू किया जो बाद में चलकर "गूगल" में बदल गया।


गूगल ही नहीं बल्कि दुनिया में कई ऎसी बड़ी कंपनियां है जिनका पहले नाम कुछ और और अब कुछ और। आपको बता दें कि सोनी का नाम पहले "टोक्यो टेलीकम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग" था। ऎसे ही याहू का नाम "जेरीस गाइड टू द वर्ल्ड वाइड वेब" और आईबीएम का नाम "कम्प्यूटिंग रिकॉर्डिग कॉर्पोरेशन" था। इनके अलावा पेप्सी का नाम "बै्रड्स ड्रिंक" और फेसबुक को "दी फेसबुक" नाम से शुरू किया गया था।
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Tuesday, July 15, 2014

ऐसे छुटकारा पाएं फेसबुक पर कैंडी क्रश रिक्वेस्ट से , Block Candy Crush Saga and other requests and notifications on Facebook

कैंडी क्रश... कैंडी क्रश.. कैंडी क्रश!!! आज-कल यह गेम फेसबुक यूजर्स के लिए एक प्रॉब्लम बन गया है। प्रॉब्लम गेम नहीं है... बल्कि इस गेम की रिक्वेस्ट भेजने वाले हैं। परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब हर 10 मिनट में एक नोटिफिकेशन पिंग आता है। इस रिक्वेस्ट के चक्कर में कई दोस्तों के बीच में फेसबुक वॉर छिड़ गई है। कई इतने ज्यादा परेशान हो गए हैं कि भेजने वाले को अनफ्रेंड ही कर दिया।

मजाक उड़ाने वाली तस्वीरें हुईं वाइरल
इस गेम को जितने ज्यादा लोग लाइक करते हैं, उससे ज्यादा अब इससे परेशान भी हैं। परेशान इसको जीतने के लिए नहीं, बल्कि जो लोग इसको खेलने की रिक्वेस्ट भेजते हैं उनसे। यह परेशानी इतनी बढ़ गई कि गेम नहीं candy crush का मजाक उड़ाने वाली तस्वीरें वाइरल हो गईं। यूजर्स, फनी तरीके से रिक्वेस्ट भेजने वालों को पिक्चर मेसेज में टैग करने लगे हैं और देखते ही देखते एक कैंपेन चल गया। काफी यूज़र्स इन तस्वीरों को शेयर भी करते हैं और ये हर सोशल नेटवर्किंग साइट और मेसेंजर पर वाइरल हैं।



आज-कल आम जनता महंगाई से परेशान है और फेसबुक की जनता कैंडी क्रश से। इसको लेकर कई लोगों ने तो कैंपेन तक चलाया क्रश दिस कैंडी नाम से। हर कोई इस दिक्कत से पीछा छुड़ाना चाहता है, लेकिन ज्यादातर लोग मजबूर हैं कि कैसे इन रिक्वेस्ट को ब्लॉक किया जाए। कुछ लोग तो अपने स्टेटस अपडेट में ही कैंडी क्रश की रिक्वेस्ट भेजने वालों को कोसने लगते हैं।

दोस्तों की 'Timeline' से
इस टैग में एक्स्पीरियंस है। कई दोस्तों के बीच इस रिक्वेस्ट को लेकर लड़ाई हो गई और कई ने तो एक दूसरे को अनफ्रेंड तक कर दिया। सिलसिला यहीं नहीं रुका... इस रिक्वेस्ट के चक्कर में घरों में भी झगड़ा हो गया। एक कहानी है कृष्णा नगर में रहने वाले प्रीत की। प्रीत की लड़ाई अपने भाई से सिर्फ इस बात पर हो गई कि वह उसे एक दिन में करीब 40-50 बार रिक्वेस्ट भेजता था। इसी से नाराज उसने अपने भाई को फेसबुक पर ब्लॉक कर दिया। ऐसे ही कई किस्से होंगे आप लोगों की टाइमलाइन पर भी।

कैसे बंद करें नोटिफिकेशन
अगर आप भी इस प्रॉब्लम से परेशान हैं, तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

1. फेसबुक के रिक्वेस्ट पेज पर लॉग-इन करिए।

2. इस पेज पर अगर कोई रिक्वेस्ट दिख रही हो, तो उसके X पर क्लिक करने के बाद ब्लॉक कर दीजिए।


3. बाईं तरफ 'Invitations' पर क्लिक करिए। अब कोई इन्विटेशन दिख रही हो, तो उसके भी X पर क्लिक करने के बाद ब्लॉक कर दीजिए।


बधाई हो! आप कैंडी क्रश सागा जैसे तमाम अनचाहे गेम्स आदि की नोटिफिकेशंस से छुटकारा पा चुके हैं। लेकिन आप खुद यह गेम खेल सकते हैं। वैसे अगर आप इसके नाम से ही चिढ़ने लगे हैं और इसे पूरी तरह ब्लॉक करना चाहते हैं, तो ये स्टेप्स अपनाएं:

1. फेसबुक पर लॉग-इन करें। ऊपर दाईं तरफ सिक्यॉरिटी शॉर्टकट्स के बटन पर क्लिक करें। उसमें सबसे नीचे 'See More Settings' पर क्लिक करें।


2. जो पेज खुलेगा, उसमें बाईं तरफ Blocking पर क्लिक करें।


3. सबसे नीचे Block Apps में ऐप सर्च करें और क्लिक करके पूरी तरह ब्लॉक कर दें। कभी अनब्लॉक करना चाहें, तो यहीं से अनब्लॉक भी कर सकते हैं।
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